Legal Question in Real Estate Law in India

एक मुस्लिम परिवार जिसमे 2 पुत्र और 6 पुत्रियाँ है।सभी शादीशुदा है।

दोनों बेटे माँ-बाप से अलग रहा करते थे,माँ-बाप के साथ एक बेटी रहती थी जिसका

पति सऊदी अरब में नौकरी करता है।और उसी बिल्डिंग में उस बेटी का अपना भी

एक फ्लैट है जो पहले बाप ने अपने नाम पर बुक करवाया था जिसका पैसा उसकी बेटी

ने भुगतान किया था।पति के सऊदी अरब से आने पर बेटी अपने पति के साथ उसी

बगल के कमरे में रहा करती थी।

एक साल पहले पिताजी का देहांत हो गया। पिता के देहांत के बाद लड़कों

ने माँ को अपने साथ अपने घर लेकर चले गए और उसी बीच फर्जी वसीयतनामा बना लिया।

कुछ महीने बीतने के बाद लड़कों ने उस घर को बेचने की बात कही जिसमे माँ-बाप के साथ में

रहती बेटी अपने पति के वापसी के दौरान रहा करती थी। इस पर उस बेटी ने आपत्ति जताई।

जवाब में लड़कों ने कहा कि यह मेरे बाप की जायदाद है इसे बेचने का मुझे पूरा अधिकार है क्यूंकि

बाप के मरने के बाद उस पर बेटों का ही हक़ होता है इसलिए पिताजी ने मरने से पहले अपनी सारी

संपत्ति हम लड़कों के नाम कर दिया था।

जब उस लड़की को अपना घर छिनता हुआ लगा तो उसने इसकी बात अपनी बहन से कही।उसका

सौभाग्य कि उसने जिस बहन से अपने ऊपर हुए अन्याय की बात कही उसका पति "सूचना के अधिकार"

का मानाजाना प्रयोगकर्ता है।

मंसूर अंसारी ने सूचना के अधिकार अधिनियम की सहायता से प्राप्त सूचना के आधार पर इस बात को स्पष्ट

करने में कोई कसर नहीं छोड़ी की सम्बंधित वसीयत पूरी तरह से फर्जी है,जिस स्टाम्प पेपर का प्रयोग हुआ है

वह भी फर्जी है।इस आधार पर यह सिद्ध हो सकता है कि क्यूंकि वसीयत फर्जी बनवाई गई है अतः जुर्म हुआ है

और सम्बंधित व्यक्ति सजा के पात्र है,साथ ही क्यूंकि वसीयत फर्जी है उस संपत्ति पर माँ-बेटी-बेटा सभी को बराबर

बराबर के हिस्से मिलने चाहिए।

अब मामला कोर्ट में चला गया है जिसमे एक पक्ष माँ ,2 बेटे तो दूसरी ओर 6 में से 4 बेटीयां (2 बेटिओं को भाईओं ने

अपने पक्ष में कर लिया है).जबकि यहाँ सीधा और स्पष्ट है कि बाप की सम्पाती पर सभी को बराबर-बराबर हिस्सा

मिलना चाहिए लेकिन पैसों के दम पर इस केस को बहुत उलझाया जा रहा है,हिस्सा माँगने वाली बहनों पर और

अन्याय के खिलाफ सूचना के अधिकार का प्रयोग कर के लड़ने वाले उनके सहयोगी मंसूर अंसारी पर लोकल पुलिस में

कई फर्जी मामले दर्ज करवाए जा रहे है।आधी रात को घरों में गुंडों को भेजा जा रहा है।पुलिस में शिकायत करने पर

पैसों के दम पर अग्रिम जमानत ले लेते है।

पैसों का इतना अभिमान के सामने से फर्जी मामला दर्ज करवाते है कि बेटी और दामाद ने घर पर रहती अकेली माँ को

आधी रात को देशी तमंचे और चाक़ू से डराया धमकाया और 20000 रुपये के साथ-साथ 6 तोला गले का हार छिना।

जिस पर इन बेचारों की अग्रीम जमानत की अर्जी भी नामंजूर हो जाती है।

यहाँ सबसे मजे की बात यह है कि पैसों का कमाल देखिये किस तरह से एक सम्पाती पर जायज हक़ के मामले को उलझाया

जा रहा है और हमारा सिस्टम बंदरिया की तरह नाच रहा है।

कृपया अपना सुझाव दे कि आखिर इसका निराकरण भारतीय कानून के आधार पर कैसे और कब तक संभव है या फिर यह मान लेना चाहिए की न्याय सिर्फ पैसे वालों के मर्जी की बात है और पुलिस,कोर्ट-कचहरी,वकील-जज इनके इशारों पर काम करने के लिए विवश है।या कि यह विश्वास जाग सकता है कि न्याय सच का साथ जरूर देगा और खुद कोई मार्ग बातएगा।


Asked on 2/03/13, 3:22 am

4 Answers from Attorneys

Fca Prashant Chavan Expert Edge LLP

03.02.2013

Dear Sir / Madam,

(Bhiwandi, Thane, Maharashtra)

English :

Differences of opinion should be sorted out mutually amongst the disputants and the best and easiest course of action should be resorted to. No Court or Police intervention is required.

On the death of the father, the principle of natural justice prevails. To put an end to in-fighting amongst the heirs, the mother, two sons and six sisters are each entitled to a 1/9th share in the sale of the deceased father's flat at the prevailing market price.

Regards,

Hindi :

Aapas kay raay aur soch rahanay kay baawajood, hoshiyaree aur sooj-booj say nirnay lena zaroori hota hai aur sabsay saral tareeka apnaana sabheekay hit may banta hai. Court kachehree aur Police ko naakaam samasya hal karnay kay liye shaamil karnaa bekaar hai.

Pita kay dehant kay baad, sarvasaamanya nyay aur naisargeek kanoon barkharar rehta hai. Kaanooni waarisokay aapsee jhagday mitanay, mata, do betay, aur chay betiyon ko 1/9 hissa pita ka makaan maujooda baajar mulya par bechkar sabkee parayshaanee turant door ho saktee hai.

Khuda Haafeez,

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Answered on 2/03/13, 4:09 am
Shrichand Nahar S.V.Nahar, Advocate

Too long query.

Be guided by your lawyer in know of all details and documents.

Read more
Answered on 2/07/13, 2:20 am


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